By Vaishnav, For Vaishnav

Friday, 21 August 2020

जिनके हृदय में भगवत् का भाव होता है उनके नेत्रों से प्रवाह के रूप में भागवत् रस सदा बहता रहता है

जिनके हृदय में भगवत् का भाव होता है उनके नेत्रों से प्रवाह के रूप में भागवत् रस सदा बहता रहता है, और ऐसे भगवतदीप के सानिध्य मैं आती ही जीव उस रस से भोग जाता है भगवदीप का संग अति दुर्लभ है।

केवल ग्रंथों को रसपान करने से ज्ञान से जरूर प्राप्त होगा, पर भक्ति कॉ उदय नहीं होगा, जब तक किसी भगवदीप का संग प्राप्त नहीं होता तब तक भगवत भाव स्फुरित नहीं होता, और संग प्राप्त होते ही भक्ति का उदय होता है।

हम यदि एक दिया प्रगटाएं तो पहले दिए की जोत कम नहीं होती, परंतु दूसरा दिया भी उतनी ही ज्योति देगा।

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