कृष्णपरता
श्रीमहाप्रभुजी कहते है कि तुम भी अपने घर मे श्रीकृष्ण का स्वरूप जो तुम्हे सुंदर लगता हो उसे पधराओ और वह स्वरूप जब तुम्हारे घर मे पधारे तो उसे अपने परिवार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मानो.
अपने जीवन की समस्त क्रियाओ और व्यवहारों जैसे कि सोना-जागना, कमाना-खाना, स्नेह-उपेक्षा आदि को अपने घर में बिराजते कृष्ण स्वरूप की ओर मोड़ दो.
अपनी समस्त वृत्तियों का विषय-प्रयोजन अपने सेव्य श्रीकृष्ण को बनाओ.
सुबह जागो कृष्ण को जगाने लिये, नहाओ उसे नहलाने के लिये, रसोई बनाओ उसे भोग धरने के लिये, काम-धंधा द्वारा कमाने जाओ तो अपने इस कृष्णकेन्द्रित संसार को चलाने के लिये, विवाह करो कृष्णसेवा में सहयोगी की कामना से, संतति पैदा करो किन्तु इस कृष्णकेन्द्रित परिवार की वृद्धि की कामना से और रात्रि में शयन भी करो तो कृष्ण के सपनों में खोने के लिये.
यह कृष्णपरता, यदि सेवाकर्ता से जीवन मे निभ पाये तो हमारी नि:साधनता ही इस पुष्टि के मैदान में पुष्टिभक्ति का रूप धारण कर लेगी.
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