व्रज - वैशाख शुक्ल तृतीया (द्वितीय)
Saturday, 15 May 2021
गुलाबी धोती पटका के शृंगार
नियम के श्रृंगार के अलावा अन्य खाली दिनों में ऐच्छिक श्रृंगार धराया जाता है.
ऐच्छिक श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत की आज्ञा एवं मुखिया जी के स्व-विवेक के आधार पर धराया जाता है.
मेरी जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को गुलाबी धोती-पटका एवं गोल पाग का श्रृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
आज बने नंदनंदनरी नव चंदनको तन लेप किये l
तामे चित्र बने केसर के राजत हैं सखी सुभग हिये ll 1 ll
तन सुखको कटि बन्यो हे पिछोरा ठाड़े है कर कमल लिये l
रूचि वनमाल पीत उपरेना नयन मेन सरसे देखिये ll 2 ll
करन फूल प्रतिबिंब कपौलन मृगमद तिलक लिलाट दिये l
‘चतुर्भुज’ प्रभु गिरिधरन लाल छबि टेढ़ी पाग रही भृकुटी छिये ll 3 ll
साज – आज श्रीजी में गुलाबी रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी-तकिया एवं चरण चौकी के ऊपर सफेद बिछावट होती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को गुलाबी रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र श्वेत रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – आज प्रभु को उष्णकाल का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चंद्रिका तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में मोती के एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, उष्णकाल के झिने लहरियाँ के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
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