व्रज -श्रावण शुक्ल चतुर्थी
Saturday, 22 July 2023
लाल घटा
श्रीमद वल्लभ रूप सुरंगे l
अंग अंग प्रति भावन भूषण वृन्दावन संपति अंगे अंगे ll 1 ll
दरस परस गिरिधर जू की नाई एन मेन व्रज राज ऊछंगे l
पद्मनाभ देखे बनि आवे सुधि रही रास रसाल भ्रू भंगे ll 2 ll
राजभोग में लाल बंगला
शाम को लाल महल
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : मल्हार)
कारे कारे बदरा देस देस ते उलरे श्याम बरन सब रुख भयो l
मनो हो मदन मिल्यो मदन मोहन सों करत ओट महा सघन तिमिर के बासन ननरो ll 1 ll
मोरन की सोर अति पिक को पपैया कुहूकात नुपूर धुन अलसे धूनतयो l
‘धोंधी’ के प्रभु बोली चली तहां जहाँ पातन की सेज करी पातन छयो ll 2 ll
साज – श्रीजी में आज लाल रंग की मलमल पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर लाल बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज लाल मलमल का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र भी लाल रंग के ही होते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. माणक के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लाल रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में एक जोड़ी माणक के कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्वेत एवं गुलाबी रंग के पुष्पों की सुन्दर थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में लाल मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
No comments:
Post a Comment