व्रज - कार्तिक शुक्ल चतुर्थी
Friday, 17 November 2023
फ़िरोज़ी खिनख़ाब के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चंद्रिका के शृंगार
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को फ़िरोज़ी खिनख़ाब का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
ब्रजजन लोचन ही को तारो ।
सुन यशोमति तेरो पूत सपुतो कुल दीपक उजियारो ।।१।।
धेनु चरावत जात दूर तब होत भवन अति भारो ।
घोष सजीवन मुर हमारो छिन इत ऊत जिन टारो ।।२।।
सात द्योस गिरिराज धर्यो कर सात बरसको बारो ।
गोविंद प्रभु चिरजियो रानी तेरो सुत गोप वंश रखवारो ।।३।।
साज – आज श्रीजी में फ़िरोज़ी खिनख़ाब की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को फ़िरोज़ी खिनख़ाब का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. ठाडे वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – आज प्रभु को हल्का श्रृंगार धराया जाता है. माणक के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर फ़िरोज़ी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, गुलाबी मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट फ़िरोज़ी एवं गोटी चाँदी की आती है.
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