व्रज – मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा
Wednesday, 13 December 2023
हरे साटन के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर पचरंगी पाग और जमाव का क़तरा एवं रूपहरी तुर्री के शृंगार
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को हरे साटन के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर पचरंगी पाग और जमाव का क़तरा एवं रूपहरी तुर्री का शृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : तोड़ी)
अबही डार देरे ईडुरिया मेरी पचरंगी पाटकी ।
हाहाखात तेरे पैया परत हो इतनो लालच मोहि मथुरा नगरके हाटकी ।।१।।
जो न पत्याऊ जाय किन देखो मनमोहन हैज़ु नाटकी ।
मदन मोहन पिय झगरो कौन वध्यो सो देखेंगी लुगाई वाटकी ।।२।।
साज – श्रीजी में आज हरे रंग की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज हरे रंग के साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं. पटका पीले मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र केसरी रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर पचरंगी पाग के ऊपर सिरपैंच और जमाव का क़तरा व रूपहरी तुर्री एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल की धरायी जाती हैं. श्रीकंठ में कमल माला एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है. रेशम की लूम धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी (एक स्वर्ण का) धराये जाते हैं.
पट हरा व गोटी मीना की आती है.
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