व्रज – माघ कृष्ण चतुर्थी (द्वितीय)
Tuesday, 30 January 2024
गुलाबी साटन के घेरदार वागा पर स्याम रंग की ज़री की फतवी एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चंद्रिका के शृंगार
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को गुलाबी साटन का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा पर स्याम रंग की ज़री की फतवी (आधुनिक जैकेट जैसी पौशाक) एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : आशावरी)
व्रज के खरिक वन आछे बड्डे बगर l
नवतरुनि नवरुलित मंडित अगनित सुरभी हूँक डगर ll 1 ll
जहा तहां दधिमंथन घरमके प्रमुदित माखनचोर लंगर l
मागधसुत वदत बंदीजन जस राजत सुरपुर नगरी नगर ll 2 ll
दिन मंगल दीनि बंदनमाला भवन सुवासित धूप अगर l
कौन गिने ‘हरिदास’ कुंवर गुन मसि सागर अरु अवनी कगर ll 3 ll
साज – आज श्रीजी में शीतकाल की लाल रंग की सुनहरी ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को गुलाबी साटन का रूपहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, घेरदार वागा, चोली एवं स्याम रंग पर ज़री की फतवी (Jacket) धरायी जाती है. सुनहरी रंग के मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. फ़िरोज़ा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
आज फ़तवी धराए जाने से त्रवल, कटिपेच बाजु एवं पोची नहीं धरायी जाती हैं. आज प्रभु को श्रीकंठ में हीरा की कंठी धराई जाती हैं.
श्वेत एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्तं में चाँदी के एक वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
No comments:
Post a Comment