व्रज - फाल्गुन शुक्ल प्रतिपदा
Monday, 11 March 2024
फ़िरोज़ी लट्ठा के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर ग्वालपगा के ऊपर पगा चंद्रिका के शृंगार
आज राजभोग में श्रीजी की कटि में एक गुलाल की पोटली बांधी जाती हैं.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : बिलावल)
गोपी हो नंदराय घर मांगन फगुआ आई l प्रमुदित कर ही कुलाहल गावत गारि सुहाई ll 1 ll
अबला एक अगमनि आगे दई है पठाई l जसुमति अति आदरसो भीतर भवन बुलाई ll 2 ll
तिनमें मुख्य राधिका लागत परम सुहाई l खेलो हसो निशंक शंक मानो जिन कोई ll 3 ll
बहुमोली मनिमाला सबन देहु पहराई l मनिमाला ले कहा करे मोहन देहु दिखाई ll 4 ll
बिनु देखे सुन्दर मुख नाहिन परत रहाई l मात पिता पति सुत ग्रह लागतरी विषमाई ll 5 ll....अपूर्ण
साज – आज श्रीजी में श्वेत मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया जाता है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को फ़िरोज़ी लट्ठा का सूथन, चोली, चाकदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं. सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि की टिपकियों से कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.
श्रृंगार – आज श्रीजी को फ़ागण का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर फ़िरोज़ी रंग के ग्वालपगा के ऊपर सिरपैंच, बीच की चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धरायी जाती हैं.
आज एक माला अक्काजी की धरायी जाती हैं.
गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी सुन्दर थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, गुलाबी मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी(एक सोना का) धराये जाते हैं.
पट चीड़ का एवं गोटी फागुन की आती है.
संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं.
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