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Tuesday, 9 April 2024

व्रज - चैत्र शुक्ल द्वितीया

व्रज - चैत्र शुक्ल द्वितीया 
Wednesday, 10 April 2024

स्याम छापा के खुलेबंध के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर जमाव का क़तरा व सुनहरी तुर्री के शृंगार

राजभोग दर्शन – 

कीर्तन – (राग : सारंग)

नयनन लागी हो चटपटी l
मदनमोहन पिय नीकसे द्वार व्है, शोभित पाग लटपटी ll 1 ll
दूर जाय फीर चितयेरी मो तन, नयन कमल मनोहर भृकुटी l
'गोविंद' प्रभु पिय चलत ललित गति, कछुक सखा अपनी गटी ll 2 ll

साज – आज श्रीजी में स्याम रंग के छापा की सुनहरी तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को लाल रंग की धोती के ऊपर श्याम रंग के छापा के खुलेबंध के चाकदार वागा एवं चोली धराये जाते हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लाल रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का कतरा,तुर्री सुनहरी तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल  धराये जाते हैं.
आज कमल माला धरावे.
 श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
 श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, चाँदी के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं. पट स्याम व गोटी चाँदी की आती है.

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