व्रज – ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी
Tuesday, 04 June 2024
शरबती धोती-पटका एवं श्रीमस्तक ग्वाल पगा पर पगा चंद्रिका के शृंगार
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
देखो ढरकन नवरंग पागकी l
वामभाग वृषभान लाडिली चितवन अति अनुरागकी ll 1 ll
सुख सागर गिरिधरन छबीलो मूरति परम सुहाग की l
मदन मोहन राधे जु की जोरी ‘गोपालदास’ के भाग की ll 2 ll
साज – आज श्रीजी में शरबती मलमल की, रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज प्रभु को शरबती मलमल की धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता हैं. दोनों वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज मध्य का (घुटने तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर शरबती रंग के ग्वालपगा के ऊपर सिरपैंच, लूम, पगा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में मोती की लोलकबिन्दी धराये जाते हैं.
श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं एवं हमेल की भांति दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, सुवा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
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