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Sunday, 28 July 2024

व्रज - श्रावण कृष्ण नवमी

व्रज - श्रावण कृष्ण नवमी 
Monday, 29 July 2024

लहरिया के वस्त्र आरम्भ

सुखद वर्षा ऋतु के आगमन से आज से श्रीजी में पुनः लहरिया के वस्त्र धराये जाने आरम्भ हो जाते हैं. 
अनुराग पूर्ण लाल धरती पर पंचरंगी लहरिया की पिछवाई, पंचरंगी लहरिया के वस्त्र (पाग एवं पिछोड़ा), श्रीमस्तक पर हीरा की तीन कलंगी, मोर वाला सिरपैंच के ऊपर जमाव (नागफणी) के कतरे का श्रृंगार वर्षभर में केवल आज के दिन ही धराया जाता है. 

आज की सेवा चन्द्रावलीजी की ओर से होती है.

द्वितीय गृह प्रभु श्री विट्ठलनाथजी में आज श्री रघुनाथ जी महाराज का उत्सव है.
प्राचीन परंपरानुसार श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी को धराये जाने वाले आज के वस्त्र द्वितीय गृह प्रभु श्री विट्ठलनाथजी के घर (मंदिर) से सिद्ध हो कर आते हैं. 
वस्त्रों के साथ श्रीजी और श्री नवनीतप्रियाजी के भोग हेतु रसरूप घेरा (जलेबी) की छाब भी  पधारती है.
मैं पूर्व में भी बता चुका हूँ कि वर्ष में लगभग 16 बार श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी के वस्त्र द्वितीय गृह से पधारते हैं.

संध्या-आरती में श्री मदनमोहन जी चितराम के हिंडोलने में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं. आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं.

कल अर्थात श्रावण कृष्ण दशमी को श्रीजी में नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनेशजी महाराज श्री का प्राकट्योत्सव (हांड़ी उत्सव) है.
प्रभु को मुकुट-काछनी का अद्भुत श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन – 

कीर्तन – (राग : मल्हार)

गहर गहर गाजें बदरा समूह साजें छहर छहर मेह बरखे सुघरियां l
कहर कहर करें पवन अरु पानी अति महर महर करें भूतल महरियाँ ll 1 ll
फहर फहर करे प्यारेको पीतांबर लहेर लहेर करे प्यारी को लहरियां l
‘कृष्णदास’ यह सुख देखवे को गावत मल्हार राग गहें कदंबकी डरियां ll 2 ll

साज – श्रीजी में आज पंचरंगी लहरिया की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र - श्रीजी को आज रुपहली ज़री से सुसज्जित पंचरंगी लहरिया का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हीरे के सर्व आभरण धराये जाते हैं. 
श्रीमस्तक पर पंचरंगी छज्जेदार पाग के ऊपर मोर वाला सिरपैंच, हीरा की तीन किलंगी, जमाव (नागफणी) का कतरा और बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. 
श्रीकर्ण में चार कर्णफूल धराये जाते हैं. 
कली, कस्तूरी व वैजयंती माला धरायी जाती है. 
पीले एवं श्वेत पुष्पों के सुन्दर कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं. 
श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, भाभीजी वाले वेणुजी एवं दो वेत्रजी (एक सोना का) धराये जाते हैं.
पट लाल व गोटी हरे लहरिया की आती है.

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