व्रज – आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा
Saturday, 06 July 2024
आगम का शृंगार
गुलाबी मलमल की परधनी एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर श्वेत मोर चंद्रिका के शृंगार
विशेष – कल रथयात्रा है अतः आज उत्सव के एक दिन पूर्व धराया जाने वाला हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
सामान्य तौर पर प्रत्येक बड़े उत्सव के एक दिन पूर्व लाल वस्त्र एवं पाग-चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है.
यह श्रृंगार अनुराग के भाव से धराया जाता है.
इस श्रृंगार के लाल वस्त्र विविध ऋतुओं के उत्सवों के अनुरूप होते हैं.
अभी ऊष्णकाल है और अभी लाल रंग निषिद्ध है अतः आज लाल के स्थान पर गुलाबी वस्त्र धराये जायेंगे. सामान्यतया इस श्रृंगार में वस्त्र और पिछवाई लाल और ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं परन्तु ऊष्णकाल में ठाड़े वस्त्र नहीं धराये जाते अतः आज प्रभु को गुलाबी वस्त्र धराये जायेंगे. इसी श्रृंखला में आज प्रभु को गुलाबी परधनी धरायी जायेगी.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
भलेई मेरे आये हो पिय
भलेई मेरे आये हो पिय ठीक दुपहरी की बिरियाँ l
शुभदिन शुभ नक्षत्र शुभ महूरत शुभपल छिन शुभ घरियाँ ll 1 ll
भयो है आनंद कंद मिट्यो विरह दुःख द्वंद चंदन घस अंगलेपन और पायन परियां l
'तानसेन' के प्रभु मया कीनी मों पर सुखी वेल करी हरियां ll 2 ll
साज - श्रीजी में आज गुलाबी मलमल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को गुलाबी रंग की मलमल की गोल छोर वाली रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित परधनी धरायी जाती है.
शृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, श्वेत मोर चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में मोती के एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं. श्रीकंठ में मोती का चोलड़ा धराया जाता हैं.
श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, झीने लहरियाँ के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
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