व्रज – भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी
Monday, 31 August 2020
विशेष – आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार नियम के श्रृंगार के अलावा अन्य खाली दिनों में ऐच्छिक श्रृंगार धराया जाता है.
ऐच्छिक श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, मौसम की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत की आज्ञा एवं मुखिया जी के स्व-विवेक के आधार पर धराया जाता है.
मेरी जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को श्याम चुंदडी के पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर गोल पाग धराये जाएगे.
राजभोग दर्शन -
कीर्तन – (राग : सारंग)
यहाँ अब काहे को दान देख्यो न सुन्यो कहुं कान l
ऐसे ओट पाऊ उठि आओ मोहनजु दूध दही लीयो चाहे मेरे जान ll 1 ll
खिरक दुहाय गोरस लिए जात अपने भवन तापर ईन ऐसी ठानी आनकी आन l
‘गोविंद’ प्रभु सो कहेत व्रजसुंदरी, चलो रानी जसोदा आगे नातर सुधै देहो जान ll 2 ll
साज - श्रीजी में आज नाहरशाही लहरियाँ श्याम पिला की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद रंग की बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी में आज नाहरशाही लहरियाँ श्याम पिला के पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर छ्ज्जेदार पाग धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के होते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान (कमर तक) का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. गुलाबी मीना तथा सोने के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर श्याम पिला लहरियाँ की छ्ज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, क़तरा चंद्रिका तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्वेत पुष्पों की विविध रंगों की थागवाली चार मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, लहरियाँ के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
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