चाँदी का हिंडोला
संध्या-आरती में श्री मदनमोहन जी चाँदी के हिंडोलने में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं. आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं.
कीर्तन हिंडोला– (राग-सोरठ)
झुलत सांवरे संग गोरी ।
अमित रूप गुन सहज माधुरी शोभा सिंधु झकोरी ।।१।।
ईत सिर मोर मुकुट की लटकन ऊत बेंदी सिर रोरी ।
कुंडल लोल कपोलन झलकत ऊतही बनी कचडोरी ।।२।।
ईत ऊत बेसरकी मुक्तासो चोंप बढी अति जोरी ।
रसिक प्रीतम वल्लभ कटाक्ष छबि हावभाव चित छोरी ।।३।।
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