संप्रदायमां चार दिवसोमां श्री पोढे त्यारे श्रृंगार सहित पोढे छे.
आ चारे रात्रीने महानिशा कहेवामां आवे छे.
१. जन्माष्टमी ने दिवसे , रातना जन्मनो अने महाभोग नो प्रकार छे, बीजा दिवसे नंदमहोत्सव अने पलनानो प्रकार छे , आ महामहोत्सव नो प्रकार होवा थी श्रीठाकोरजी श्रृंगार साथे पोढे छे.
२.शरदपूर्णिमा, रासोत्सवनो प्रकार आखी रातनो होवा थी श्रीठाकोरजी श्रृंगार साथे पोढे छे.{ घणी जग्या ए पोढावती वखते श्रृंगार अने वस्त्र वड़ा करी बाजुमां मूंढा के चौकी पर तासक के थाळ मां धराय छे.}
३.दिवाळी ना दिवसे , रातना श्रीठाकोरजी श्रृंगार साथे पोढे छे ,केमके १. निकुंजमां आखी रात स्वामिनीजी साथे चौपट खेले छे माटे अने २.दीपदान लीला अने हटड़ी लीला पछी गोपबाळको साथे श्रीगिरीराजजीनी परिक्रमा करवा पधारे छे माटे.
४.क्षप्रबोधनी नी राते श्रीठाकोरजी श्रृंगार साथे पोढे छे, विवाहखेल नो प्रकार छे माटे.
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