By Vaishnav, For Vaishnav

Saturday, 19 September 2020

श्रीनाथजी के मन्दिर परिसर में जो स्थल है उसका परिचय

निकुंज नायक श्रीनाथजी

श्रीनाथजी का मन्दिर अन्य मन्दिरों के समान गुम्बजों, शिखरों वाला न होकर श्रीनंदबाबा की हवेली की तरह बना हुआ है। निज मन्दिर के उपर आज भी केलूपोश छत है जहॉं श्रीचक्रराज सुदर्शनजी बिराजमान है। आज हम श्रीनाथजी के मन्दिर परिसर में जो स्थल है उसका परिचय करेंगे।

१ निकुंज नायक श्रीनाथजी का निज मंदिर

२ मणि कोठा
जहां कीर्तनकार कीर्तन गान करते हैं एवं छडीदार अपनी छडी एवं अन्य सेवक गणों के साथ श्रीनाथजी की सेवा के लिए खडे रहते हैं।

३ गोल देहरी (देहली)
यहां से हम श्रीनाथजी को सन्मुख भेंट कर सकते है।

४ डोल तिबारी
यहां पर खडे होकर हम श्रीनाथजी के दर्शन कर सकते हैं।

५ कीर्तनिया गली
यहां कीर्तनकार अपने साज आदि रखते हैं व दर्शन के पूर्व व पश्चात मधुर राग रागिनीयों का गान करते हैं।

६ श्रीचक्रराज सुदर्शनजी
यहां ध्वजा फहराई जाती है एवं श्रीचक्रराज सुदर्शनजी को राजभोग के दर्शनों के समय इत्र एवं खाजा मठरी का भोग लगाया जाता है।

७ श्री ध्वजाजी
श्रीनाथजी का मंदिर पुष्टिमार्ग मेंएक मात्र ऐसा मन्दिर है जहॉं ध्वजा फहराई जाती है।

८ रतन चौक
जहां से हम दर्शन के लिए डोल तिबारी में प्रवेश करते हैं। इसी स्थान पर दीपावली पर भव्य कांच की हटडी का मनोरथ होता है, जिसमें श्रीनवनीतप्रियजी बिराजते हैं। यहॉं एक ताला लगा हुआ है, जिसे छूकर वैष्णव अपने को धन्य मानते हैं। ऐसी मान्यता है कि श्रीनाथजी ने इस ताला को छुआ था।

९ कमल चौक
चौक के मध्य में मार्बल से कमलाकार बना हुआ है, एवं प्रभु श्रीनाथजी के रास स्थल के रूप में जाना जाता है।

१९ समाधान विभाग
कमल चौक के पास ही है जहाँ मन्दिर में मनोरथ एवं भेंट आदि के राशि जमा कर रसीद प्राप्त की जा सकती है।

११ ध्रुव बारी
यहीं पर से मुगल सम्राट औरंगजेब ने प्रभु श्रीनाथजी का चमत्कार माना अपनी धृष्टता छोड दर्शन प्राप्त किये थे। इस स्थान पर मनौती स्वरुप नारियल बांधे जाते हैं।

१२ अनार चोक
यहॉं से कीर्तनिया गली में प्रवेश किया जाता है।

१३ प्रसादी भंडार
जहॉं से मन्दिर का प्रसाद प्राप्त किया जा सकता है।

१४ आरती का स्थान

१५ खासा भंडार
जहां भोग के लिए सामग्री एकत्रित कर उसे पवित्र करके मन्दिर की रसोई में जाती है।

१६ पानघर
श्रीनाथजी को पान अत्यन्त प्रिय है और इस हेतु पूरा पानघर बना हुआ है, जहौं विशेष विधि से गीली सुपारी चक्की में बारीक पीस एवं तैयार कर चूना कत्था के साथ पान का बीडा बनाया जाता है।

१७ फूलघर
श्रीनाथजी के श्रृंगार हेतु विविध भॉंति भाँति के फूल गुलाब, मोगरा, चमेली, चंपा आदि के कई मन फूल नित्य सेवा में काम में लिये जाते हैं।

१८ शाकधर
यहां श्रीनाथजी की सेवा के लिए वैष्णव शाक भाजी की सेवा कर रसोई में भेजने योग्य बनाते हैं।

19 पातलघर
श्रीनाथजी की सेवा के लिए विविध बर्तन एवं अन्य सामग्री यहॉं से उपलब्ध कराई जाती है।

20 मिश्रीघर
यहॉं श्रीनाथजी की सामग्री के लिए मिश्री व अन्य सामग्री की सेवा धराई जाती है।

21 पेडाघर
गंगामाटी व चंदन व गंगा,यमुना जल मिश्रित पेडे यहीं पर तैयार होते हैं।

22 दूधघर
यह विशेष स्थान है जहॉं पर रसोई एवं अन्य के लिए दूध की सामग्री इत्यादि तैयार होती है।

23 खरासघर
यहॉं गेहूँ इत्यादि अनाज पीस कर तैयार किया जाता है।

24 श्रीगोर्वद्धनपूजा का चौक
यहॉं दीपावली एवं अन्नकूट के दिन भव्य मनोरथ होता है एवं दर्शनों के लिए प्रवेश द्वार यहीं से हैं।

25 सूरजपोल
यहीं पर नवधा भक्ति की प्रतीक नौ सिढियां बनी हुई है और हम यहीं से रतन चौक में प्रवेश कर निज मन्दिर की और जाते हैं।

26 सिंहपोल
यहां से कमल चौक में प्रवेश किया जा सकता है।

27 धोली पटिया
ये स्थान श्रीरसागर स्वरूप माना गया है। सिंह पोल यहीं स्थित है।

28 वाचनालय
धोली पटिया पर स्थित है जहॉं हम पुष्टिमार्गीय साहित्य प्राप्त कर सकते हैं।

29 श्रीलालाजी का मन्दिर
यहॉं विभिन्न वैष्णव भक्तों द्वारा पुष्टिकृत ठाकुरजी पधराये गये हैं।

30 श्रीनवनीतप्रियजी का मन्दिर
मन्दिर के विभिन्न भागों में सभी बडे मनोरथों में श्रीनाथजी के प्रतिनिधि स्वरूप के रुप से श्रीनवनीतप्रियजी का स्वरूप ही पधराया जाता है, क्योंकि श्रीनाथजी का स्वरूप अचल है।

31 श्री कृष्ण भण्डार
मन्दिर से सम्बन्धित समस्त सेवा कार्यों के लिए यहीं से कार्यवाही होती है।

32 सोने चॉंदी की चक्की
श्रीनाथजी की सेवा के लिए प्रतिदिन इतनी केसर, कस्तूरी की आवश्यकता होती है कि उसे पीसने के लिए चक्की की आवश्यकता पडती है।

33 श्रीमहाप्रभुजी के बैठकजी
भावात्मक रुप से श्रीमहाप्रभुजी के बैठकजी यहां बिराजमान हैं।

34 श्री खर्च भण्डार
यहीं पर श्रीनाथजी की सेवा के लिए अनाज शुद्ध देशी घी का संग्रह किया जाता है इसी स्थान पर श्रीनाथजी के रथ का पहिया रूक गया था और आज भी उस स्थान पर श्रीनाथजी की चरण चौकी है। यहां पर शुद्ध घी संगंह के लिए कुए बने हुए हैं।

35 भीतर की बावडी
यहॉं से निज मन्दिर एवं रसोईघर के लिये पवित्र जल जाता है।

36 मोती महल
गोस्वामी तिलकायत श्री का आवास

37 धूप घडी
मोतीमहल की छत पर ही प्राचीन धूप घडी बनी हुई है।

38 प्राचीन घडी
इसी के पास प्राचीन घडी भी है जो लकडी एवं रस्सी के यंत्रो से चलती है।

39 श्री पुष्टिमार्गीय हवेली संगीत शिक्षणशाला
यहॉं पर हवेली संगीत की शिक्षा प्रदान की जाती है।

40 श्री पुष्टिमार्गीय पुस्तकालय
यहॉं पर प्राचीन हस्तलिखित एवं मुद्रित कई अमूल्य ग्रथ उपलब्ध हैं।

41 नक्कारखाना
यहॉं दर्शनों के समय नक्कारे एवं शहनाई का मधुर वादन चलता रहता है एवं दर्शन आदि की घोषणा होती है।

42 नक्कार खाना दरवाजा
इस मुक्ष्य द्वार से ही मन्दिर में प्रवेश किया जाता है। इसी के उपर नक्कारखाना बना हुआ है।

43 लाल दरवाजा
यह दरवाजा श्रीखर्च भण्डार के पास बना हुआ है। जो रात्रि के समय बन्द रहता है, इसी दरवाजे के पास मुगलों के द्वारा ली गई शपथ का शिलालेख लगा हुआ है।

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