By Vaishnav, For Vaishnav

Sunday, 27 September 2020

व्रज – आश्विन अधिक शुक्ल द्वादशी

व्रज – आश्विन अधिक शुक्ल द्वादशी
Monday, 28 September 2020

आज के मनोरथ-

राजभोग में बंगला

शाम को फूल की मंडली 

विशेष-अधिक मास में आज श्रीजी को दोहरा मल्लकच्छ का श्रृंगार धराया जायेगा.

मल्लकाछ शब्द दो शब्दों (मल्ल एवं कच्छ) से बना है. 
ये एक विशेष परिधान है जो आम तौर पर पहलवान मल्ल (कुश्ती) के समय पहना करते हैं. यह बालभाव का श्रृंगार पराक्रमी प्रभु को वीर-रस की भावना से धराया जाता है.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : आशावरी)

तेरे लाल मेरो माखन खायो l
भर दुपहरी देखि घर सूनो ढोरि ढंढोरि अबहि घरु आयो ll 1 ll
खोल किंवार पैठी मंदिरमे सब दधि अपने सखनि खवायो l
छीके हौ ते चढ़ी ऊखल पर अनभावत धरनी ढरकायो ll 2 ll
नित्यप्रति हानि कहां लो सहिये ऐ ढोटा जु भले ढंग लायो l
‘नंददास’ प्रभु तुम बरजो हो पूत अनोखो तैं हि जायो ll 3 ll

साज – आज श्रीजी में श्री गिरिराज-धारण की लीला के सुन्दर चित्रांकन से सुशोभित पिछवाई धरायी जाती है. पिछवाई में श्रीकृष्ण एवं बलदेवजी मल्लकाछ टिपारा के श्रृंगार में हैं एवं नंदबाबा, यशोदा जी एवं गोपियाँ प्रभु के सम्मुख हाथ जोड़ कर खड़े हैं. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज एक आगे का पटका लाल एवं पिला लहरियाँ का एवं मल्लकाछ तथा दूसरा कंदराजी का हरा एवं सफ़ेद लहरियाँ का पटका तथा मल्लकाछ धराया जाता है. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित हैं. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – श्रीजी को श्री कंठ के शृंगार छेड़ान के धराए जाते हे बाक़ी श्रृंगार भारी धराया जाता है. 
पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं. 
श्रीमस्तक पर टिपारा का साज धराया जाता है जिसमें लाल रंग के दुमाला के ऊपर सिरपैंच, मध्य में मोरशिखा, दोनों ओर दोहरे कतरा और बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं. चोटीजी नहीं धरायी जाती.
कमल माला धरायी जाती है.
श्वेत एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में कमलछड़ी, चाँदी के वेणुजी एवं दो वेत्रजी  धराये जाते हैं.
पट लाल व गोटी चांदी की बाघ-बकरी की आती है.

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