By Vaishnav, For Vaishnav

Wednesday, 14 October 2020

व्रज – आश्विन अधिक कृष्ण त्रयोदशी

व्रज – आश्विन अधिक कृष्ण त्रयोदशी
Thursday, 15 October 2020

आज के मनोरथ-

प्रातः फ़ुल मंडली

शाम को हटड़ी बैठे गोपालन का मनोरथ

विशेष-अधिक मास में आज श्रीजी को लाल मलमल के धोती पटका एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर टिपारा के साज का श्रृंगार धराया जायेगा. 

राजभोग दर्शन – 

कीर्तन – (राग : सारंग)

नागरी नागरसो मिल गावत रासमें सारंग राग जम्यो l
तान बंधान तीन मूर्छना देखत वैभव काम कम्यौ ll 1 ll
अद्भुत अवधि कहां लगी वरनौ मोहन मूरति वदन रम्यो l
भजि ‘कृष्णदास’ थक्ति नभ उडुपति गिरिधर कौतुक दर्प दम्यो ll 2 ll

साज – आज श्रीजी में लाल रंग की रुपहली ज़री की तुईलैस के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज लाल मलमल का धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता है. दोनों वस्त्र सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र पिले रंग के होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज मध्य का श्रृंगार धराया जाता है. गुलाबी मीना के सर्व-आभरण धराये जाते हैं. 

श्रीमस्तक पर लाल रंग का ग्वालपाग (पगा) धराया जाता है जिसके ऊपर टिपारा का साज मध्य में मोरशिखा, दोनों ओर दोहरा कतरा तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. 
श्रीकर्ण में एक जोड़ी लोलक बिंदी धराये जाते हैं.
चोटीजी मीना की धरायी जाती हैं.
 श्वेत एवं पीले पुष्पों की दो मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी और दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट लाल व गोटी बाघ बकरी की आती है.

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