व्रज – पौष शुक्ल द्वितीया
Friday, 15 January 2021
श्रीजी में आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार नियम के श्रृंगार के अलावा अन्य खाली दिनों में ऐच्छिक श्रृंगार धराया जाता है.
ऐच्छिक श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत की आज्ञा एवं मुखिया जी के स्व-विवेक के आधार पर धराया जाता है.
मेरी जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को हरे छीट के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर टिपारा का साज धराये जायेंगे
राजभोग दर्शन –
कीर्तन (राग : तोड़ी)
कटि पर नीके लटपटात पीत पट l
सीस टिपारो मोरचंदसो मिलि धातु प्रवाल विचित्र भेख नट ll 1 ll
पंचरंग छींट ऊदार ओढ़नी लटकत चलत तरनि-तनयातट l
व्रजभामिनी के मोतीहारसो उरझी रहीरी कुंचित अलकलत ll 2 ll
ज्यों गजराज मत्त करनी-संग आलिंगन कुच सुभग कनकघट l
"कृष्णदास" प्रभु गिरिधरनागर बिहरत बनबिहार बंसीबट ll 3 ll
साज – आज श्रीजी में शीतकाल की सुन्दर कलात्मक पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को हरे छीट का सूथन, चोली, चाकदार वागा एवं मोज़ाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – श्रीजी को आज वनमाला का (चरणारविन्द तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. गुलाबी मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर टिपारा का साज (हरे छीट के टिपारा के ऊपर सिरपैंच, मोरशिखा, दोनों ओर मोरपंख के दोहरा कतरा सुनहरे फोन्दना के) एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं. सफेद एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
आज कमल माला धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
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