व्रज – माघ कृष्ण पंचमी
Tuesday, 02 February 2020
बसंत-पंचमी का प्रतिनिधि का श्रृंगार
वसंत ऋतु आई फूलन फूले सब मिल गावोरी बधाई l
कामनृपति रतिपति आवत है चहुर्दिश कामिनी भोंह सों चोंप चढ़ाई ll
विशेष – आज बसंत-पंचमी का प्रतिनिधि का श्रृंगार धराया जाता है. सभी बड़े उत्सवों के पहले उस श्रृंगार का प्रतिनिधि का श्रृंगार धराया जाता है.
विक्रमाब्द १९७०-७१ में तत्कालीन परचारक श्री दामोदरलालजी ने प्रभु प्रीति के कारण अपने पिता और तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी से विनती कर इस श्रृंगार की आज्ञा ली और यह प्रतिनिधि का श्रृंगार धराया था.
वस्त्र आदि इस रीती के धराये गये कि जैसे बसंतपंचमी आ गयी हो और प्रभु बसंत की गुलाल खेलें हों.
तदुपरांत यह श्रृंगार प्रतिवर्ष धराया जाता है.
बसंत के पूर्व श्रीजी में गुलाल वर्जित होती है अतः पिछवाई एवं वस्त्रों लाल रंग के वस्त्रों को काट कर ऐसा सुन्दर भरतकाम किया गया है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि प्रभु ने गुलाल खेली हो.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : पंचम/मालकौंस)
बोलत श्याम मनोहर बैठे कदंबखंड और कदम की छैंया l
कुसुमित द्रुम अलि गुंजत सखी कोकिला कलकुजत तहियां ll 1 ll
सुनत दुतिका के वचन माधुरी भयो है हुलास जाके मन महियां l
‘कुंभनदास’ व्रजकुंवरि मिलन चली रसिककुंवर गिरिधरन पैयां ll 2 ll
साज – आज श्रीजी में बसंतपंचमी का प्रतिनिधि का श्रृंगार धराया जाता है अतः साज एवं वस्त्रादि सभी अबीर, गुलाल एवं चौवा से खेले हों ऐसा भरतकाम (Work) किया गया होता है. सफ़ेद रंग की पिछवाई में लाल रंग के वस्त्रों को काटकर गुलाल की चिड़ियों के भरतकाम वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है एवं प्रभु के स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को सफ़ेद साटन का पीली, लाल, केसरी एवं श्याम रंग की टिपकियों के भरतकाम (Work) वाला सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं जिसमें रंगीन टिपकियों का भरतकाम (Work) किया गया है.
पटका श्वेत मोठड़ा का व मोजाजी मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – आज श्रीजी में मध्य का (घुटने से दो अंगुल नीचे तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हीरा, पन्ना, माणक, मोती व स्वर्ण के मिलवा सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर श्वेत रंग की लाल एवं श्याम रंग की टिपकियों के भरतकाम (Work) वाली छज्जेदार पाग पर पट्टीदार सिरपैंच, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में माणक के चार कर्णफूल धराये जाते हैं. श्वेत एवं पीले पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में स्वर्ण के बंटदार वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
आरसी बड़ी डांडी की, पट चीड़ का व गोटी चाँदी की आती है.
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