By Vaishnav, For Vaishnav

Thursday, 18 February 2021

व्रज – माघ शुक्ल सप्तमी

व्रज – माघ शुक्ल सप्तमी 
Friday, 19 February 2021

सुखद तुव संग ब्रजसुंदरी गाईये | 
नवल बसंत नवल पियकंत, राधिका संग आईये ||१|| 
कंचन कुंभ मदन सिंधु ते, भरी कें नेह  लाईये | 
पीत बसन सों ढांपी के, कामतरोवर पाइये ||२|| 
घोष घोष ते गलिन गलिन प्रति बिछुवन नाद सुनाईये |
   केसु कुसुम नवरंग सुरंगे, अबीर गुलाल उडा़ईये ||३|| 
उठत उमंग मुख चंग मृदंग डफ ढम ढल बजाई |
 बूकाबंदन टरण रज वंदन, "सूरस्नेही" मिलन धाईये ||४||

श्रीजी में आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार नियम के श्रृंगार के अलावा अन्य खाली दिनों में ऐच्छिक श्रृंगार धराया जाता है. 
ऐच्छिक श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत की आज्ञा एवं मुखिया जी के स्व-विवेक के आधार पर धराया जाता है. 

मेरी जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को श्वेत लट्ठा का सूथन, चोली एवं चाकदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा. 

राजभोग दर्शन – 

कीर्तन – (राग : वसंत) 

श्रीवृंदावन खेलत गुपाल, बनि बनि आई व्रजकी बाल ll 1 ll
नवसुंदरी नवतमाल, फूले नवल कमल मधि नव रसाल ll 2 ll
अपने कर सुंदर रचित माल, अवलंबित नागर नंदलाल ll 3 l
नव गोप वधू राजत हे संग, गजमोतिन सुंदर लसत मंग ll 4 ll
नवकेसर मेद अरगजा धोरि, छिरकत नागरिकों नवकिशोर ll 5 ll
तहां गोपीग्वाल सुंदर सुदेश, राजत माला विविध केस ll 6 ll
नंदनंदन को भूवविलास, सदा रहो मन 'सूरदास' ll 7 ll

साज – आज श्रीजी में सफ़ेद रंग की मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया जाता है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को सफ़ेद रंग का सूथन, चोली, चाकदार वागा एवं गुलाबी रंग के मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं. पटका हरे रंग का धराया जाता हैं. सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि की टिपकियों से कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.

श्रृंगार – आज श्रीजी को फ़ागण का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. लाल मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का कतरा एवं तुर्री बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में लाल मीना के कर्णफूल की एक जोड़ी धरायी जाती हैं.
 गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी सुन्दर थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
 श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट चीड़ का एवं गोटी फाल्गुन की हाथीदाँत की आती है. 

संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.

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