व्रज - चैत्र कृष्ण द्वादशी
Thursday, 08 April 2021
श्रीजी में आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार नियम के श्रृंगार के अलावा अन्य खाली दिनों में ऐच्छिक श्रृंगार धराया जाता है.
ऐच्छिक श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत की आज्ञा एवं मुखिया जी के स्व-विवेक के आधार पर धराया जाता है.
मेरी जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को लाल ज़री पर रूपहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन -
कीर्तन (राग : सारंग)
लालन बैठे कुंजस्थली।
कुसुमित वन परिमल आमोद तहां कूजत, कोकिला रहे रसमत्त अली ।।१।। कुवलय दल कोमल शय्या रची,
मृदुल सुहस्त वेणी ग्रथित चंपकली।गोविद प्रभु दंपतीजु परस्पर,
रहे रसमत्त रली।।२।।
साज – आज श्रीजी में लाल ज़री की, हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को लाल ज़री का, रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली तथा घेरदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – आज प्रभु को हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लाल रंग के चीरा ( ज़री की गोल पाग) के ऊपर सिरपैंच, क़तरा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी पन्ना के कर्णफूल धराये जाते हैं.
गुलाब के पुष्पों की थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, स्याम मीना के वेणुजी दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट लाल एवं गोटी चाँदी की आती है.
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