व्रज - वैशाख शुक्ल द्वितीया
Thursday, 13 May 2021
आगम का श्रृंगार
विशेष – आज के दिन भगवान परशुरामजी का जन्म भी हुआ था जो कि भगवान विष्णु के क्रोधवंत अंशावतार हैं. यध्यपि भगवान परशुरामजी को पुष्टिमार्ग में मान्यता नहीं दी गयी है
कल अक्षय-तृतीया है और आज श्रीजी को उत्सव के एक दिन पूर्व धराया जाने वाला हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
अधिकांश बड़े उत्सवों के एक दिन पूर्व लाल-पीले वस्त्र एवं पाग-चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है. इसे आगम का श्रृंगार कहा जाता है और यह श्रृंगार अनुराग के भाव से धराया जाता है.
इस श्रृंगार के लाल वस्त्र विविध ऋतुओं के उत्सवों के अनुरूप होते हैं अर्थात गत वैशाख कृष्ण नवमी को श्री महाप्रभुजी के उत्सव के पूर्व के इस श्रृंगार में तत्कालीन ऋतु के अनुरूप घेरदार वागा धराये गए थे और वैशाख कृष्ण द्वादशी से सामान्यतया शीतकालीन वस्त्र अर्थात घेरदार, चाकदार एवं खुलेबंद के वागा नहीं धराये जाते अतः आज प्रभु को लाल मलमल का पिछोड़ा धराया जायेगा.
कल अक्षय तृतीया है और चन्दन यात्रा का आरम्भ होगा. श्रीजी में सेवाक्रम में भी कई परिवर्तन होंगे. सिंहासन, चरणचौकी, पड़घा, झारीजी, बंटाजी, वेणुजी, वेत्रजी आदि स्वर्ण के प्रभु के सम्मुख इस ऋतु में आज अंतिम बार धरे जाते हैं अर्थात कल से सर्व-साज चांदी के साजे जायेंगे.
आज से श्रीजी के श्रीहस्त में पुष्पछड़ी के स्थान पर कमल छड़ी धरायी जाएगी.
विगत कल प्रतिपदा को शयन समय चंदुआ एवं टेरा सफ़ेद बांधे जाते हैं.
राजभोग दर्शन –
कीर्Shreenathjinitydarsh की बानिक कही न जाय, बैठे निकस कुंजद्वार l
लटपटी पाग सिर सिथिल चिहुर चारू खसित बरुहा चंदरस भरें ब्रजराजकुमार ll 1 ll
श्रमजल बिंदु कपोल बिराजत मानों ओस कन नीलकमल पर l
‘गोविंद’ प्रभु लाडिलो ललन बलि कहा कहों अंग अंग सुंदर वर ll 2 ll
साज – आज श्रीजी में लाल सुनहरी लप्पा की, सुनहरी ज़री की तुईलैस के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज प्रभु को लाल मलमल का पिछोड़ा धराया जाता हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लाल मलमल की छज्जेदार
पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
श्रीकर्ण में एक जोड़ी पन्ना के कर्णफूल धराये जाते हैं. श्रीकंठ में पन्ना की चार माला धरायी जाती है. श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
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