व्रज - वैशाख कृष्ण नवमी
Wednesday, 05 May 2021
महाप्रभुजी के उत्सव के आगम के श्रृंगार
विशेष – आज श्रीजी को उत्सव के एक दिन पूर्व धराया जाने वाला हल्का आगम का श्रृंगार धराया जाता है.
अधिकतर बड़े उत्सवों के एक दिन पूर्व लाल वस्त्र एवं पाग-चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है. यह श्रृंगार अनुराग के भाव से धराया जाता है.
यद्यपि श्री महाप्रभुजी का प्राकट्योत्सव परसों अर्थात एकादशी को है, कल नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज कृत पांच स्वरूपोत्सव का दिन है और कल प्रभु को नियम का मुकुट व लाल काछनी का श्रृंगार धराया जाता है अतः इस उत्सव का लाल-पीले घेरदार वागा का आगम का श्रृंगार आज नियम से धराया जाता है.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : देवगंधार)
व्रज भयो महरिके पुत, जब यह बात सुनी, सुनि आनंदे सब लोग, गोकुल गणित गुनी l
व्रज पूरव पूरे पुन्य रुपी कुल, सुथिर थुनी, ग्रह लग्न नक्षत्र बलि सोधि, कीनी वेद ध्वनी ll 1 ll
सुनि धाई सबे व्रजनारी, सहज सिंगार कियें, तन पहेरे नौतन चीर, काजर नैन दिये l
कसि कंचुकी तिलक लिलाट, शोभित हार हिये, कर कंकण कंचन थार, मंगल साज लिये ll 2 ll
साज – आज श्रीजी में लाल रंग की मलमल की, सुनहरी लप्पा की तुईलैस के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज प्रभु को लाल रंग की मलमल का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. उर्ध्व भुजा की ओर कटि-पटका धराया जाता है. सभी वस्त्र सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लाल रंग की गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
श्रीकर्ण में पन्ना के एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्वेत एवं गुलाब के पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
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