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Wednesday, 30 June 2021

व्रज - आषाढ़ कृष्ण सप्तमी

व्रज - आषाढ़ कृष्ण सप्तमी
Thursday, 01 July 2021

गुलाबी रंग का पिछोड़ा एवं ग्वाल पगा के श्रृंगार

जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं. 
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को गुलाबी रंग का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा और पगा चंद्रिका (मोरशिखा) का शृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन – 

कीर्तन – (राग : सारंग)

पनिया न जेहोरी आली नंदनंदन मेरी मटुकी झटकी के पटकी l
ठीक दुपहरी में अटकी कुंजनमे कोऊ न जाने मेरे घटकी ll 1 ll
कहारी करो कछु बस नहीं मेरो नागर नट सों अटकी l
‘नंददास’ प्रभु की छबि निरखत सुधि न रही पनघट की ll 2 ll

साज – आज श्रीजी में गुलाबी रंग की मलमल की रुपहली तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज प्रभु को गुलाबी मलमल का पिछोड़ा धराया जाता हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं.

श्रृंगार – आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. 
मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं. 
श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग के ग्वाल पगा पर मोती की लड़, पगा चंद्रिका (मोरशिखा) एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. 
श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धराये जाते हैं.
श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, चांदी के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
 पट ऊष्णकाल का व गोटी बाघ-बकरी की आती है.

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