व्रज - श्रावण कृष्ण चतुर्दशी
Saturday, 07 August 2021
पिले मलमल का पिछोड़ा एवं दुमाला के श्रृंगार
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को पिले मलमल का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर दुमाला का श्रृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : मल्हार)
चल सखी देखन नंद किशोर l
श्रीराधाजु संग लीये बिहरत रुचिर कुंज घन सोर ll 1 ll
उमगी घटा चहुँ दिशतें बरखत है घनघोर l
तैसी लहलहातसों दामन पवन नचत अति जोर ll 2 ll
पीत वसन वनमाल श्याम के सारी सुरंग तनगोर l
जुग जुग केलि करो ‘परमानंद’ नैन सिरावत मोर ll 3 ll
साज – श्रीजी में आज पीले रंग की मलमल की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज पीले रंग की मलमल का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.
श्रृंगार – आज प्रभु को मध्य का (घुटनों तक) श्रृंगार धराया जाता है. फ़ीरोज़ा के आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर पिले रंग के दुमाला के ऊपर सिरपैंच, कलगा (भीमसेनी कतरा) एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धराये जाते हैं.
श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में कमलछड़ी, स्याम मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (एक माणक व एक हीरा के) धराये जाते हैं.
पट पिला गोटी बाघ-बकरी की आती है.
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