By Vaishnav, For Vaishnav

Wednesday, 27 October 2021

व्रज – कार्तिक कृष्ण सप्तमी

व्रज – कार्तिक कृष्ण सप्तमी
Thursday, 28 October 2021

दीपावली के पूर्व का नियम का मुकुट-काछनी का श्रृंगार

आज श्रीजी में नियम का मुकुट का श्रृंगार धराया जायेगा. 
दीपोत्सव के पूर्व नियम के कुछ श्रृंगार धराये जाते हैं. 
आज के मुकुट के श्रृंगार को धराये जाने का दिन नियत नहीं है यद्यपि यह इस पक्ष में धराया अवश्य जाता है.

राजभोग दर्शन – 

कीर्तन – (राग : सारंग)

नटवरगति नृत्यत है भक्तन उर परसत है, पुलकित तन हरखत है रासमें लाल बिहारी l
बाजत ताल मृदंग उपंग बांसुरी बिना स्वर तरंग ग्रग्रता ग्रग्रता थुंग थुंग लेत छंद भारी ll 1 ll
कटि काछिनि पीत सुरंग मोर मुकुट अति सुधंग रंग राख्यौं अर्धभाल ललित शीश पेंच संवारी l
आरती वारति यशोदामाय लेत कंठ लगाय देखत सुरनर मुनि और ‘रामदास’ बलिहारी ll 2 ll 

साज – आज श्रीजी में गौचारण लीला के चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज लाल सलीदार ज़री का किनारी वाला सूथन, काछनी एवं मलमल का रास-पटका (पीताम्बर) धराया जाता है. इसी प्रकार मेघश्याम दरियाई की चोली धरायी जाती है. ठाड़े वस्त्र श्वेत (चिकने लट्ठा के) धराये जाते हैं.

श्रृंगार - श्रीजी को वनमाला (चरणारविन्द तक) का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं. 
श्रीमस्तक पर सुनहरी डाख (ज़री के काम के ) की मुकुट की टोपी व मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में सोना के मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं. बायीं ओर मीना की शिखा (चोटी) धरायी जाती है.
 कली, कस्तूरी व कमल माला धरायी जाती है.श्वेत पुष्पों की विविध पुष्पों की थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, लहरिया के वेणुजी दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट लाल व गोटी मीना की आती है.

संध्या-आरती दर्शन उपरांत मुकुट, टोपी, काछनी व आभरण बड़े कर सुथन पटका,  गोल-पाग एवं छेड़ान के श्रृंगार धराये जाते हैं लूम तुर्रा रूपहरी धराया जाता है और शयन दर्शन खुलते 

No comments:

Post a Comment

व्रज – माघ शुक्ल तृतीया

व्रज – माघ शुक्ल तृतीया  Saturday, 01 February 2025 इस वर्ष माघ शुक्ल पंचमी के क्षय के कारण कल माघ शुक्ल चतुर्थी के दिन बसंत पंचमी का पर्व ह...