व्रज – मार्गशीर्ष कृष्ण षष्ठी
Thursday, 25 November 2021
अमरसी साटन के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग और सीधी चंद्रिका के शृंगार
जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को अमरसी साटन का सूथन, चोली एवं चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर सीधी चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : आसावरी)
प्रीत बंधी श्रीवल्लभ पदसों और न मन में आवे हो ।
पढ़ पुरान षट दरशन नीके जो कछु कोउ बतावे हो ।।१।।
जबते अंगीकार कियोहे तबते न अन्य सुहावे हो ।
पाय महारस कोन मूढ़मति जित तित चित भटकावे हो ।।२।।
जाके भाग्य फल या कलिमे शरण सोई जन आवेहो ।
नन्द नंदन को निज सेवक व्हे द्रढ़कर बांह गहावे हो ।।३।।
जिन कोउ करो भूलमन शंका निश्चय करी श्रुति गावे हो ।
"रसिक" सदा फलरूप जानके ले उछंग हुलरावे हो ।।४।।
साज – श्रीजी में आज अमरसी रंग की साटन (Satin) की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज अमरसी रंग की साटन (Satin) का रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली, चाकदार वागा एवं मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर अमरसी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, सीधी चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्रीकंठ में कमल माला एवं श्वेत एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में स्याम मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट अमरसी व गोटी मीना की आती है.
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