व्रज – पौष कृष्ण चतुर्दशी (त्रयोदशी क्षय)
Saturday, 1 January 2022
फूल गुलाबी साज अति शोभित तापर राजत बालकृष्ण बिहारी ।
फ़ेंटा गुलाबी पिछोरा रह्यो फबि फूल गुलाबी रंग अति भारी ।।१।।
वाम भाग वृषभाननंदनी पहेरे गुलाबी कंचुकी सारी ।
फूल गुलाबी हस्तकमलमें छबि पर कुंभनदास बलिहारी ।।२।।
श्रीजी की नगरी में काफ़ी सर्दी है और कल चिरंजीवी श्री विशाल बावा साहब का जन्मदिन है जो कि बड़े आनंद से मनाया जाएगा. आज पूज्य श्री तिलकायत महाराज व परिवार के अन्य सदस्य नाथद्वारा पधारेंगे.
गुलाबी घटा, जय-गोपाल (कुंडवारा का मनोरथ)
आज श्रीजी में गुलाबी घटा के दर्शन होंगे.
यह घटा निश्चित है पर इसका दिन व क्रम ऐच्छिक है और इस वर्ष छठे क्रम पर ली गयी है.
आज श्रीजी में कुंडवारा का मनोरथ हैं. जिस दिन कुंडवारा मनोरथ हो श्रीजी में ग्वाल के दर्शन अवश्य खोले जाते हैं. आज शृंगार दर्शन नहीं खुलेंगे ग्वाल के दर्शन खुलेंगे.
श्रीजी में शीतकाल में विविध रंगों की घटाओं के दर्शन होते हैं. घटा के दिन सर्व वस्त्र, साज आदि एक ही रंग के होते हैं. आकाश में वर्षाऋतु में विविध रंगों के बादलों के गहराने से जिस प्रकार घटा बनती है उसी भाव से श्रीजी में मार्गशीर्ष व पौष मास में विविध रंगों की द्वादश घटाएँ द्वादश कुंज के भाव से होती हैं.
कई वर्षों पहले चारों यूथाधिपतिओं के भाव से चार घटाएँ होती थी परन्तु गौस्वामी वंश परंपरा के सभी तिलकायतों ने अपने-अपने समय में प्रभु के सुख एवं वैभव वृद्धि हेतु विभिन्न मनोरथ किये. इसी परंपरा को कायम रखते हुए नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज ने निकुंजनायक प्रभु के सुख और आनंद हेतु सभी द्वादश कुंजों के भाव से आठ घटाएँ बढ़ाकर कुल बारह (द्वादश) घटाएँ (दूज का चंदा सहित) कर दी जो कि आज भी चल रही हैं.
इनमें कुछ घटाएँ (हरी, श्याम, लाल, अमरसी, रुपहली व बैंगनी) नियत दिनों पर एवं अन्य कुछ (गुलाबी, पतंगी, फ़िरोज़ी, पीली और सुनहरी घटा) ऐच्छिक है जो बसंत-पंचमी से पूर्व खाली दिनों में ली जाती हैं.
ये द्वादश कुंज इस प्रकार है –
अरुण कुंज, हरित कुंज, हेम कुंज, पूर्णेन्दु कुंज, श्याम कुंज, कदम्ब कुंज, सिताम्बु कुंज, वसंत कुंज, माधवी कुंज, कमल कुंज, चंपा कुंज और नीलकमल कुंज.
जिस रंग की घटा हो उसी रंग के कुंज की भावना होती है. इसी श्रृंखला में आज कमल कुंज की भावना से श्रीजी में गुलाबी घटा होगी. साज, वस्त्र आदि सभी गुलाबी रंग के होते हैं. सर्व आभरण गुलाबी मीना एवं स्वर्ण के धराये जाते हैं.
सभी घटाओं में राजभोग तक का सेवाक्रम अन्य दिनों की तुलना में काफ़ी जल्दी हो जाता है.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन
आज शृंगार निरख श्यामा को नीको बन्यो श्याम मन भावत ।
यह छबि तनहि लखायो चाहत कर गहि के मुखचंद्र दिखावत ।।१।।
मुख जोरें प्रतिबिम्ब विराजत निरख निरख मन में मुस्कावत ।
चतुर्भुज प्रभु गिरिधर श्री राधा अरस परस दोऊ रीझि रिझावत ।।२।।
साज – श्रीजी में आज गुलाबी दरियाई वस्त्र की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर गुलाबी बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को गुलाबी दरियाई वस्त्र का सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र भी गुलाबी धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. गुलाबी मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर गुलाबी गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, गुलाबी रेशम के दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में गुलाबी मीना का कर्णफूल धराये जाते हैं.
आज दो दुलड़ा धराये जाते हैं.
श्रीकंठ में चार माला धरायी जाती है. श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में गुलाबी मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट गुलाबी व गोटी चाँदी की आती है.
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