व्रज – पौष शुक्ल दशमी
Wednesday, 12 January 2022
गुलाबी साटन के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर सोना की गोल पाग और गोल चंद्रिका के शृंगार
जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को गुलाबी साटन का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा एवं श्रीमस्तक पर सोना की गोल पाग पर गोल चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : तोड़ी)
सोने की मटुकिया, जराव की इंडुरिया, श्याम प्रेम भरी भूल गयी गोरस।।
प्रीतम को नाम ले ले, कहेत लेओरी कोऊ, ब्रजमें डोलत बोलत है चहुँओ रस || १||
चलो श्याम सुन्दर एकांत दधि खाइए, न जात तजे वाको रस।।
“तानसेन" के प्रभु हौंजू कहतहों, साँझ भई रटत निकसी हुती भोरस।। २ ।।
साज – श्रीजी में आज सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज गुलाबी साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.स्वर्ण के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर स्वर्ण की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच और गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धरायी जाती हैं. श्रीकंठ में पिले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, स्वर्ण के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
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