व्रज – माघ कृष्ण द्वितीया (द्वितीय)
Thursday, 20 January 2022
गुलाबी साटन के चागदार वागा एवं श्रीमस्तक पर हीरा का जड़ाऊ पगा और पगा चंद्रिका (मोरशिखा) के शृंगार
जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को गुलाबी साटन का सूथन, चोली एवं चागदार वागा एवं श्रीमस्तक पर हीरा का जड़ाऊ पगा पर पगा चंद्रिका (मोरशिखा) का श्रृंगार धराया
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : आसावरी)
माई मेरो श्याम लग्यो संग डोले l
जहीं जहीं जाऊं तहीं सुनी सजनी बिनाहि बुलाये बोले ll 1 ll
कहा करो ये लोभी नैना बस कीने बिन मोले l
‘हित हरिवंश’ जानि हितकी गति हसि घुंघटपट खोले ll 2 ll
साज – श्रीजी में आज गुलाबी रंग की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज गुलाबी रंग के साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चागदार वागा धराये जाते हैं. पटका गुलाबी मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र श्याम रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर हीरा के जड़ाऊ पगा के ऊपर पगा चंद्रिका (मोरशिखा) एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में हीरा के लोलकबिंदी (लड़ वाले कर्णफूल) धराये जाते हैं.
श्रीकंठ में कमल माला और श्वेत एवं पीले पुष्पों की गुलाबी थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
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