व्रज – माघ शुक्ल अष्टमी(द्वितीय)
Wednesday, 09 February 2022
खेलत वसंत निस पिय संग जागी।
सखी वृंद गोकुल की सोभा गिरिधर पिय पदरज अनुरागी॥१॥
नवल कुंज में गुंजत मधुप पिक विविध सुगन्ध छींट तन लागी।
कृष्णदास स्वामिनी युवती यूथ चूडामणि रिझवत प्राणपति राधा बडभागी ॥२॥
श्वेत लट्ठा के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग और क़तरा के शृंगार
जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को श्वेत लट्ठा का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर क़तरा का श्रृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : आसावरी)
श्याम सुभगतन शोभित छींटे नीकी लागी चंदनकी ।
मंडित सुरंग अबीरकुंकुमा ओर सुदेश रजवंदनकी ।।१।।
कुंभनदास मदन तनमन बलिहार कीयो नंदनंदनकी ।
गिरिधरलाल रची विधि मानो युवति जन मन कंदनकी ।।२।।
साज – आज श्रीजी में श्वेत मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया जाता है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को सफ़ेद रंग का सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं लाल रंग के मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र अमरसी रंग के धराये जाते हैं. सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि की टिपकियों से कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.
श्रृंगार – आज श्रीजी को फ़ागण का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लाल रंग की पाग के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी जमाव (नागफणी) का कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में एक जोड़ी मीना के कर्णफूल धराये जाते हैं.
गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी सुन्दर थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, स्याम मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट चीड़ का एवं गोटी फागुण की आती है.
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