व्रज - फाल्गुन शुक्ल नवमी(प्रथम)
Friday, 11 March 2022
पीले लट्ठा के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर ग्वालपगा के ऊपर पगा चंद्रिका के शृंगार
जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को पीले लट्ठा के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर ग्वालपगा के ऊपर पगा चंद्रिका का शृंगार धराया जायेगा.
आज राजभोग के खेल में प्रभु की कमर पर एक पोटली गुलाल की बांधी जाती है.
कीर्तन – (राग : बिलावल)
वंदो मुनसाई नंदके जुवती झंडा केसें लेहोजु l ये सब सुंदरि घोखकि क्यों परिरंभन देहो ll 1 ll
फाल्गुन मास देत फगुआ अति क्रीड़ा रस खेलो l तनकी गति ओर भई बोली ढोली मेलो ll 2 ll
काहेको अकुलात हो मन को भायो करि हैं l हो भैया बलदेवको पृथक पृथक करि धरि है ll 3 ll
पांच सखी मिलि एक व्है बीच झंडा ले रोप्यो l फरहर रतिपति ऊपरे बहोत नगन जट ओप्यो ll 4 ll....अपूर्ण
साज – आज श्रीजी में आज सफ़ेद मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया गया है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को पीले लट्ठा का सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र स्याम रंग के धराये जाते हैं. सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि को छांटकर कलात्मक रूप से खेल किया जाता है. प्रभु के कपोल पर भी गुलाल, अबीर लगाये जाते हैं.
श्रृंगार – आज श्रीजी को फ़ागण का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर ग्वालपगा के ऊपर सिरपैंच, पगा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धरायी जाती हैं.
आज एक माला अक्काजी की धरायी जाती हैं.
गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी सुन्दर थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी(एक सोना का) धराये जाते हैं.
पट चीड़ का एवं गोटी फागुन की आती है.
संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं.
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