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Tuesday, 29 March 2022

व्रज - चैत्र कृष्ण त्रयोदशी

व्रज - चैत्र कृष्ण त्रयोदशी 
Wednesday, 30 March 2022

मुकुट काछनी का श्रृंगार

प्रभु को मुख्य रूप से तीन लीलाओं (शरद-रास, दान और गौ-चारण) के भाव से मुकुट का श्रृंगार धराया जाता है. 

जब भी मुकुट धराया जाता है वस्त्र में काछनी धरायी जाती है. काछनी के घेर में भक्तों को एकत्र करने का भाव है. 
जब मुकुट धराया जाये तब ठाड़े वस्त्र सदैव श्वेत रंग के होते हैं. ये श्वेत वस्त्र चांदनी छटा के भाव से धराये जाते हैं. 
जिस दिन मुकुट धराया जाये उस दिन विशेष रूप से भोग-आरती में सूखे मेवे के टुकड़ों से मिश्रित मिश्री की कणी अरोगायी जाती है. 

राजभोग दर्शन – 

कीर्तन – (राग : सारंग)

मुकुट की छांह मनोहर कीये l
सघन कुंजते निकस सांवरो संग राधिका लीये ll 1 ll
फूलन के हार सिंगार फूलन के खोर चंदन की कीये l
'परमानंद दास'को ठाकुर ग्वालबाल संग लीये ll 2 ll

साज – आज श्रीजी में श्री यमुना जी एवं प्रभु की सेवा में पधारती गोपियों के चित्रांकन की सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज पचरंगी ज़री का सूथन, काछनी, लाल रंग का रास-पटका एवं मेघश्याम दरियाई की चोली धराये जाते हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र सफेद लट्ठा के धराये जाते हैं.

श्रृंगार - श्रीजी को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं. 
श्रीमस्तक पर डाँख की मुकुट टोपी के ऊपर मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. 
श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं. बायीं ओर मीना की शिखा (चोटी) धरायी जाती है.
श्रीकंठ में कली, कस्तूरी व कमल माला धरायी जाती है. 
श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की विविध पुष्पों की थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लहरियाँ के वेणुजी दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट लाल व गोटी नाचते मोर की आती है.

संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के आभरण, मुकुट, टोपी, पीताम्बर, चोली व दोनों काछनी बड़े किये जाते हैं.

शयन दर्शन में  मेघश्याम चाकदार वागा व लाल तनी धरायी जाती है. श्रीमस्तक पर गोल पाग के ऊपर सुनहरी लूम-तुर्रा धराये जाते हैं.
आभरण छेड़ान के (छोटे) धराये जाते हैं.

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