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Sunday, 6 March 2022

व्रज - फाल्गुन शुक्ल पंचमी

व्रज - फाल्गुन शुक्ल पंचमी
Monday, 07 March 2022
                   
फागुन में रसिया घर बारी फागुन में ।
हो हो बोले गलियन डोले गारी दे दे मत वारी ।।१।।
लाजधरी छपरन के ऊपर आप भये हैं अधिकारी ।
"पुरुषोत्तम" प्रभु की छबि निरखत ग्वाल करे सब किलकारी ।।२।।

लाल लट्ठा के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर फेटा का साज के शृंगार

जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं. 
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को लाल लट्ठा के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर फेटा का साज का शृंगार धराया जायेगा.

राजभोग खेल में प्रभु की कटि में गुलाल व की पोटली बांधी जाती है. आज प्रभु के कपोल पर गुलाल अबीर लगाये जाते  जाते है. 

राजभोग दर्शन – 

कीर्तन (राग : बिलावल) 

बरसाने की गोपी मागन फगुवा आई l कियो हे जुहार नंदजुको भीतर भवन बुलाई ll 1 ll
एक नाचत एक गावत एक बजावत तारी l काहे मोहन राय दूरि रहे मैयाय दिवावत गारी ll 2 ll
आदर देत व्रजरानी अब निज भागि हमारे l प्रीतम सजन कुलवधू पाये दरस तुम्हारे ll 3 ll
सुने कुंवरि मेरी राधे अबही जिन मुख मांडो l जेंवत श्याम सखन संग जिन पिचकाई छांडो ll 4 ll
केसरि बहोत अरगजा कित मोहन पर डारो l सीत लगे कोमल तन तुमही चित्त विचारो ll 5 ll.....अपूर्ण

साज - आज श्रीजी में सफ़ेद मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, अबीर व चन्दन से खेल किया जाता है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को लाल लट्ठा के सुथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र अमरसी रंग के धराये जाते हैं. सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि को छांटकर कलात्मक रूप से खेल किया जाता है. प्रभु के कपोल पर भी गुलाल, अबीर लगाये जाते हैं.

श्रृंगार – आज श्रीजी को मध्य का (घुटने तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
 श्रीमस्तक पर लाल रंग के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, मोरशिखा, दोहरा कतरा एवं बायीं और शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में लोलकबंदी-लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्रीकंठ में अक्काजी की एक माला धरायी जाती है.
 पीले एवं लाल पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
 श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट चीड़ का व गोटी फाल्गुन की आती है.

संध्या-आरती दर्शन उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े किये जाते हैं. फेटा बड़ा नहीं किया जाता व लूम तुर्रा भी नहीं धराये जाते हैं. 

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