व्रज - वैशाख कृष्ण सप्तमी
Saturday, 23 April 2022
गुलाबी मलमल के चाकदार वागा, श्रीमस्तक पर ग़्वाल पगा और पगा चंद्रिका (मोरशिखा) के शृंगार
जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को गुलाबी मलमल का सूथन, चोली एवं चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर पगा चंद्रिका (मोरशिखा) का श्रृंगार धराया जायेगा.
कीर्तन – (राग : सारंग)
श्रीलक्ष्मणगृह महामंगल भयो प्रगटे श्री वल्लभ पूरणकाम l
माधवमास कृष्णपक्ष शुभलग्न उदित एकादशी दूसरोयाम ll 1 ll
मंगल कलश चौक मोतिन के विविध विचित्र चित्र बने धाम l
मंगल गावत मुदित मानिनी नखसिख रूप कामसी वाम ll 2 ll
मिट्यो तिमिर दुःख द्वंद जगतको भोर भयो मानो मिट गई याम l
'माणिकचंद' प्रभु सदा बिराजो आय बसो श्री गोकुल गाम ll 3 ll
साज – आज श्रीजी में गुलाबी मलमल की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को गुलाबी मलमल का सूथन, चोली तथा चाकदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र मेघस्याम रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर गुलाबी ग्वाल पगा के ऊपर सिरपैंच, लूम, पगा चंद्रिका (मोरशिखा) एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धराये जाते हैं.
कमल माला एवं गुलाबी एवं पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लहरियाँ के वेणुजी वेत्रजी धराये जाते हैं.
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