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Thursday, 19 May 2022

व्रज - ज्येष्ठ कृष्ण पंचमी

व्रज - ज्येष्ठ कृष्ण पंचमी
Friday, 20 May 2022

गुलाबी धोती पटका एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर जमाव के क़तरा के शृंगार

जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं. 
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को गुलाबी धोती-पटका एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर जमाव के क़तरा का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

भलेई मेरे आये हो पिय 
भलेई मेरे आये हो पिय ठीक दुपहरी की बिरियाँ l
शुभदिन शुभ नक्षत्र शुभ महूरत शुभपल छिन शुभ घरियाँ ll 1 ll
भयो है आनंद कंद मिट्यो विरह दुःख द्वंद चंदन घस अंगलेपन और पायन परियां l
'तानसेन' के प्रभु मया कीनी मों पर सुखी वेल करी हरियां ll 2 ll

साज - आज श्रीजी में गुलाबी रंग की मलमल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज प्रभु को गुलाबी रंग की मलमल धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता हैं. दोनों वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज मध्य का (घुटने तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
 श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, तुर्रा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
 श्रीकर्ण में दो जोड़ी मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं. 
श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं एवं हमेल की भांति दो मालाजी धरायी जाती हैं.
 श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, झिने लहरियाँ के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट ऊष्णकाल के राग-रंग का एवं गोटी हक़ीक की आती हैं.

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