By Vaishnav, For Vaishnav

Saturday, 28 May 2022

व्रज - ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्दशी

व्रज - ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्दशी
Sunday, 29 may 2022

चंदन की चोली एवं कली के आभरन
का मनोरथ

विशेष- आज राजभोग में आभरन बड़े करके चंदन की चोली एवं कली के आभरन धराए जायेंगे.

ऊष्णकाल में सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में होवे तब शीतोपचारार्थ चंदन की गोली, चंदन की चोली, लपट-झपट, ख़स-खाना, जल-विहार, शीतल जल से स्नान (संध्या में) आदि प्रशस्त (उत्तम) माने गए हैं.

आज श्रीजी को चंदन की चोली धरायी जाएगी. इसके साथ चंदनिया रंग का पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग धरायी जाएगी. 

राजभोग दर्शन – 

कीर्तन – (राग : सारंग)

चंदन को वागो पहिरे चंदन की खोर कीये, चंदन के रुखतरे ठाड़े पिय प्यारी l
चंदन की पाग शिर चंदन को फेंटा, बन्यो चंदन की चोली तन चंदन की सारी ll 1 ll
चंदन की आरसी ले निरखत दोऊ जन हंस हंस गिर जात भरत अंकवारी l
‘सूरदास’ मदन मोहन चंदभवनमें बैठे, गावत सारंग राग रंग रह्यो भारी ll 2 ll

साज – आज श्रीजी में केसर एवं चंदन मिश्रित चंदनी रंग की मलमल की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को केसर मिश्रित चंदनिया रंग की मलमल की चोली एवं पिछोड़ा धराये जाते हैं.

श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर चंदनिया रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, तुर्रा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
 श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं. श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, गंगा जमनी के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं. 
पट एवं गोटी ऊष्णकाल के आते है.

राजभोग में आभरन बड़े करके चंदन की चोली एवं कली के आभरन धराए जाते हैं.

No comments:

Post a Comment

व्रज – माघ शुक्ल चतुर्थी

व्रज – माघ शुक्ल चतुर्थी  Sunday, 02 February 2025 बसंत-पंचमी श्री मुकुन्दरायजी (काशी) का पाटोत्सव, श्री दामोदरदासजी हरसानी का प्राकट्य दिवस...