व्रज - ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी
Friday, 03 June 2022
चंदनी मलमल की परधनी एवं श्रीमस्तक पर चिनमा (तह वाला) पगा पर तुर्रा के श्रृंगार
राजभोग में चंदन की गोली का मनोरथ
आज प्रभु के श्रीअंगों (वक्षस्थल, दोनों श्रीहस्त और दोनों चरणकमल) में कुल पांच केशर बरास मिश्रित चंदन की गोलियां धरायी जाती है.
श्रीजी में प्रतिदिन अथवा नियम से चंदन नहीं धराया जाता अपितु मनोरथियों द्वारा आयोजित चंदन धराने के मनोरथ होते हैं और मनोरथ के रूप में ऋतु के अनुरूप विविध सामग्रियां भी अरोगायी जाती हैं.
जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को चंदनी मलमल की परधनी एवं श्रीमस्तक पर चिनमा (तह वाला) पगा पर तुर्रा का श्रृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
साज – (राग : सारंग)
लालन पहिरत है नवचंदन l
विविध सुगंध मिलाय अरगजा व्रजयुवतिन मनफंदन ll 1 ll
शीतल मंद बहत मलयानिल मोहन मन को रंजन l
अंग अंग छबि कहा लों वरनो मनमथ मनके गंजन ll 2 ll
आरत चित विलोकत हरिमुख चपल चलन दृग खंजन l
‘गोविंद’ प्रभुपिय सदा बसो जिय गिरिधर विरह निकंदन ll 3 ll
साज – आज श्रीजी में चंदनी मलमल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को चंदनी मलमल का रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित परधनी धरायी जाती है.
श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर चंदनी रंग का चिनमा (तह वाला) पगा के ऊपर सिरपैंच, तुर्रा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
गुलाबी एवं श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में चार कमल की कमलछड़ी, सुवा के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
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