व्रज - ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी
Wednesday, 08 June 2022
शरबती मलमल का आड़बंद एवं श्रीमस्तक पर श्रीमस्तक पर गोल पाग पर चमकनी चंद्रिका के शृंगार
ऊष्णकाल का तृतीय अभ्यंग
विशेष - आज श्रीजी में ऊष्णकाल का तृतीय अभ्यंग होगा. ऊष्णकाल के ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में श्रीजी में नियम के चार अभ्यंग स्नान और तीन शीतल जल स्नान होते हैं. यह सातो स्नान ऊष्ण से श्रमित प्रभु के सुखार्थ होते हैं.
अभ्यंग स्नान प्रातः मंगला उपरांत और शीतल जल स्नान संध्या-आरती के उपरांत होते हैं.
अभ्यंग स्नान में प्रभु को चंदन, आवंला एवं फुलेल (सुगन्धित तेल) से अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है जबकि शीतल स्नान में प्रभु को बरास और गुलाब जल मिश्रित सुगन्धित शीतल जल से स्नान कराया जाता है.
जिस दिन अभ्यंग हो उस दिन अमुमन चितराम (चित्रांकन) की कमल के फूल वाली पिछवाई धराई जाती है एवं गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में श्रीजी को सतुवा के लड्डू अरोगाये जाते हैं.
जिस दिन अभ्यंग और शीतल स्नान हो उस दिन शयनभोग की सखड़ी में विशेष रूप से विविध प्रकार के मीठा-रोटी, दहीभात, घुला हुआ सतुवा आदि अरोगाये जाते हैं.
जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को शरबती मलमल का आड़बंद एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर चमकनी चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा
राजभोग दर्शन
कीर्तन – (राग : सारंग)
पनिया न जैहोरी आली नंदनंदन मेरी मटुकी झटकिके पटकी l
ठीक दुपहरीमें अटकी कुंजनमें कोऊ न जाने मेरे घटकी ll 1 ll
कहारी करो कछु बस नहि मेरो नागर नटसों अटकी l
‘नंददास’ प्रभुकी छबि निरखत सुधि न रही पनघटकी ll 2 ll
साज - आज श्रीजी में सफ़ेद रंग के मलमल पर कमल के चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को शरबती मलमल का रूपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित आड़बंद धराया जाता है.
श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
हीरा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर शरबती रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, चमकनी चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में हीरा के एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
एक हार एक पंचलड़ा धराया जाता हैं.
श्वेत पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, चाँदी के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
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