By Vaishnav, For Vaishnav

Wednesday, 6 July 2022

व्रज - आषाढ़ शुक्ल अष्टमी

व्रज - आषाढ़ शुक्ल अष्टमी 
Thursday, 07 July 2022

 आज कछु कुंजनमें बरबासी ।
दलबादरमें देख सखीरी चमकत है चपलासी ।।१।।
न्हेनी न्हेनी बूदंन बरखन लागी पवन चलत सुखरासी ।
मंद मंद गरजन सुनियत है नाचत मोर कलासी ।।२।।

अधरंग (गहरे पतंगी) मलमल की परधनी एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग और चमकनी गोल चंद्रिका के शृंगार

जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं. 
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को अधरंग (गहरे पतंगी) मलमल की परधनी एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग और चमकनी गोल चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन –
 
कीर्तन – (राग : मल्हार)

कुंवर चलोजु आगे गहवरमें जहाँ बोलत मधुरे मोर l
विकसत वनराजी कोकिला करत रोर ।।१।।
मधुरे वचन सुनत प्रीतम के लीनो प्यारी चितचोर l
‘गोविंद’ बलबल पिय प्यारी की जोर ।।२।।

 साज - श्रीजी में आज वन कदम की श्री गिरिराज जी, श्री यमुना जी, वन एवं उसमे यथेच्छ विहार करते पशु-पक्षियों के चित्रकाम वाली पिछवाई धराई जाती है. गादी,  तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र - श्रीजी को अधरंग (गहरे पतंगी) मलमल की परधनी धरायी जाती है. ठाड़े वस्त्र नहीं धराये जाते हैं.

श्रृंगार - प्रभु को आज छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. 
हीरा के सर्व आभरण, श्रीमस्तक पर अधरंग (गहरे पतंगी) रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम तथा चमकनी गोल चंद्रिका और बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
 श्रीकर्ण में हीरा के कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं.
पीले पुष्पों की रंगीन थाग वाली दो कलात्मक सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं. इसी प्रकार दो मालाजी हमेल की भांति धरायी जाती है. 
श्रीहस्त में कमलछड़ी, चाँदी के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट ऊष्णकाल का एवं गोटी हक़ीक की आती है.

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