व्रज – आश्विन कृष्ण षष्ठी
Friday, 16 September 2022
लाल सफ़ेद लहरियाँ का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर पगा चंद्रिका (मोरशिखा) के शृंगार
जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को लाल सफ़ेद लहरियाँ का पिछोड़ा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर पगा चंद्रिका (मोरशिखा) का शृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)
ग्वालिनी मीठी तेरी छाछि l
कहा दूध में मेलि जमायो साँची कहै किन वांछि ll 1 ll
और भांति चितैवो तेरौ भ्रौह चलत है आछि l
ऐसो टक झक कबहु न दैख्यो तू जो रही कछि काछि ll 2 ll
रहसि कान्ह कर कुचगति परसत तु जो परति है पाछि l
‘परमानंद’ गोपाल आलिंगी गोप वधू हरिनाछि ll 3 ll
साज – श्रीजी में आज लाल सफ़ेद लहरियाँ की सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर मखमल मढ़ी हुई होती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज लाल सफ़ेद लहरियाँ का रूपहरी किनारी का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के होते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान का श्रृंगार धराया जाता है. फ़िरोज़ा के के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लहरियाँ रंग के ग्वालपाग (पगा) के ऊपर मोती की लड़, सुनहरी चमक (जमाव) की चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में लोलकबंदी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.
आज कमल के फूल की माला धरायी जाती हैं.
श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी व कमल के पुष्प की मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, फ़िरोज़ा के वेणुजी एवं दो (एक सोना का) वेत्रजी धराये जाते हैं.
No comments:
Post a Comment