व्रज – पौष शुक्ल पंचमी
Tuesday, 27 December 2022
आज द्वितीय पीठाधीश्वर श्री विट्ठलनाथजी के मंदिर में नित्यलीलास्थ गौस्वामी श्री गोपेश्वरलालजी का उत्सव है अतः प्राचीन परंपरानुसार आज श्रीजी प्रभु को धराये जाने वाले वस्त्र भी द्वितीय पीठाधीश्वर प्रभु श्री विट्ठलनाथजी के घर से सिद्ध हो कर आते हैं.
वस्त्रों के संग बूंदी के लड्डुओं की एक छाब भी श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी के भोग हेतु आती है.
वर्षभर में लगभग सौलह बार द्वितीय गृह से वस्त्र सिद्ध होकर श्रीजी में पधारते हैं.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : तोडी)
हों बलि बलि जाऊं तिहारी हौ ललना आज कैसे हो पाँव धारे l
कौन मिस आवन बन्यो पिय जागे भाग्य हमारे ll 1 ll
अब हों कहा न्योछावर करूँ पिय मेरे सुंदर नंददुलारे l
'नंददास' प्रभु तन-मन-धन प्राण यह लेई तुम पर वारे ll 2 ll
साज – आज श्रीजी में केसरी रंग की सुनहरी सुरमा-सितारा के कशीदे के भरतकाम एवं श्याम रंग के पुष्प-लताओं के भरतकाम के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
वस्त्र – आज श्रीजी को केसरी रंग के साटन (Satin) के रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं. केसरी रंग के मोजाजी एवं केसरी रंग के रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित कटि-पटका धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. सर्व आभरण माणक के धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, क़तरा, सीधी चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
कमल माला धरावे.
पीले रंग के पुष्पों की कमलाकार कलात्मक मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में लाल मीना के वेणुजी एवं वैत्रजी धराये जाते हैं.
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