व्रज – माघ कृष्ण त्रयोदशी
Friday, 20 January 2023
मेघश्याम साटन के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर क़तरा के शृंगार
जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को मेघश्याम साटन का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर क़तरा का श्रृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : आसावरी)
गोपालको मुखारविंद जियमें विचारो ।
कोटि भानु कोटि चंद्र मदन कोटि वारो ।।१।।
कमलनैन चारूबैन मधुर हास सोहे ।
बंक अवलोकन पर जुवती सब मोहे ।।२।।
धर्म अर्थ काम मोक्ष सब सुख के दाता ।
चत्रभूज प्रभु गोवर्धनधर गोकूलके त्राता।।३।।
साज – श्रीजी में आज मेघश्याम रंग की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज मेघश्याम साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हीरा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर मेघश्याम रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच और जमाव का क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धरायी जाती हैं. श्रीकंठ में चार माला एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
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