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Saturday, 7 January 2023

व्रज – माघ कृष्ण द्वितीया

व्रज – माघ कृष्ण द्वितीया 
Sunday, 08 January 2023

दोहरा वस्त्र के शृंगार

जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं. 
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को मेघस्याम रंग के दरियाई का सूथन एवं मेघस्याम रंग के दरियाई पर केसरी रंग का हांसिया का तीन कोनो वाला चोली एवं चाकदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा एवं श्रीमस्तक पर फेटा का साज का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन – 

कीर्तन – (राग : आशावरी)

व्रज के खरिक वन आछे बड्डे बगर l
नवतरुनि नवरुलित मंडित अगनित सुरभी हूँक डगर ll 1 ll
जहा तहां दधिमंथन घरमके प्रमुदित माखनचोर लंगर l
मागधसुत वदत बंदीजन जस राजत सुरपुर नगरी नगर ll 2 ll
दिन मंगल दीनि बंदनमाला भवन सुवासित धूप अगर l
कौन गिने ‘हरिदास’ कुंवर गुन मसि सागर अरु अवनी कगर ll 3 ll

साज – आज श्रीजी में केसरी रंग की मेघस्याम हाशिया की पिछवाई धरायी जाती है गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है एवं प्रभु के स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को मेघस्याम रंग के दरियाई पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन एवं मेघस्याम रंग के दरियाई पर केसरी रंग का हांसिया का तीन कोनो वाले चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं. मोज़ाजी केसरी रंग के धराये जाते है. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – आज प्रभु को मध्य का (घुटने तक) हल्का श्रृंगार धराया है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर फेंटा का साज धराया जाता है. मेघस्याम रंग के केसरी खिड़की वाले फेंटा के ऊपर सिरपैंच, मेघस्याम रंग की रेशम की बीच की चंद्रिका, दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मोती की लोलकबंदी-लड़वाले कर्णफूल धराये जाते हैं. 
कमल माला धरावे.
स्वेत एवम् पीले पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
 श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, स्वर्ण के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट केसरी एवं गोटी चाँदी की बाघ बकरी की धरायी जाती हैं.

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