व्रज - चैत्र कृष्ण अमावस्या
Tuesday, 21 March 2023
स्याम सलीदार ज़री के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर गोल चंद्रिका के शृंगार
जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को स्याम सलीदार ज़री का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर गोल चंद्रिका का श्रृंगार धराया
राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग :सारंग)
मेरी अखियन के भूषण गिरिधारी ।
बलि बलि जाऊ छबीली छबि पर अति आनंद सुखकारी ।।१।।
परम उदार चतुर चिंतामनिवदरस दरस दुं
दु़:खहारी ।
अतुल प्रताप तनक तुलसी दल मानत सेवा भारी ।।२।।
छीतस्वामी गिरिधरन विसद यश गावत गोकुलनारी ।
कहा वरनौ गुन गाथ नाथके श्रीविट्ठल ह्रदय विहारी ।।३।।
साज – श्रीजी में आज मेघस्याम ज़री की हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज स्याम सलीदार ज़री पर रूपहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान के (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. माणक के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर स्याम ज़री की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, बांकी (तिरछी) गोल चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं.
गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, गुलाबी मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट स्याम व गोटी चाँदी की आती है.
संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के आभरण बड़े कर दिए जाते हैं और शयन दर्शन हेतु छेड़ान के श्रृंगार धराये जाते हैं.
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