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Saturday, 1 April 2023

व्रज - चैत्र शुक्ल द्वादशी

व्रज - चैत्र शुक्ल द्वादशी
Sunday, 02 April 2023

पीले मलमल के चाकदार वागा, श्रीमस्तक पर फेटा पर फेटा का साज के शृंगार

जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं. 
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को पीले मलमल का सूथन, चोली एवं चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर फेटा के उपर फेटा के साज का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन – 

कीर्तन – (राग : सारंग)

कहा कहों लाल सुधर रंग राख्यो मुरलीमें l
तानबंधान स्वरभेद लेत अतिजत बिचबिच मिलवत विकट अवधर ll 1 ll
चोख माखन की रेख तामें गायन मिलवत लांबे लांबे स्वर l
बिच बिच लेत तिहारो नाम सुनरी सयानी 'गोविंदप्रभु' व्रजरानी के कुंवर ll 2 ll  

साज – आज श्रीजी में पीले रंग की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है. 

वस्त्र – आज श्रीजी को पीले मलमल  के, रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – आज प्रभु को मध्य का (घुटने तक) हल्का श्रृंगार धराया है. माणक के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर फेंटा का साज धराया जाता है. पीले रंग के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, मोरशिखा, दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में लोलकबिंदी (लड़वाले कर्णफूल) धराये जाते हैं.
 गुलाबी गुलाब के पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
 श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट पीला व गोटी चाँदी की बाघ बकरी की आती है.

संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर फेंटा रहे लूम-तुर्रा नहीं आवे.

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