व्रज - चैत्र शुक्ल चतुर्दशी
Wednesday, 05 April 2023
चौफ़ुली चुंदड़ी के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर ग़्वाल पगा पर पगा चंद्रिका के शृंगार
जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को चौफ़ुली चुंदड़ी के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर ग्वाल पगा पर पगा चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन (राग : घनाश्री)
यशोदा रानी जायो है सुत नीको l
आनंद भयो सकल गोकुलमें गोप वधु लाई टीको ll 1 ll
अक्षत दूब रोचन वंदन नंदे तिलक दहीं को l
अंचल वारि वारि मुख निरखत कमल नैन प्यारो जीकों ll 2 ll
अपने अपने भवन से निकसी पहेरे चीर कसुम्भी को l
'यादवेन्द्र' व्रजकुल प्रति पालक कंस काल भय भीको ll 3 ll
साज – श्रीजी में आज लाल रंग की चौफूली चूंदड़ी की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – आज प्रभु को लाल रंग की चौफूली चूंदड़ी का सूथन, चोली के चाकदार वागा धराये जाते हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र मेघस्याम रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लाल रंग के ग्वाल पगा पर सिरपैंच, पगा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धराये जाते हैं.
कमल माला धरायी जाती हैं.
गुलाबी गुलाब के पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, फ़िरोज़ा के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
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