व्रज - वैशाख कृष्ण अमावस्या
Thursday, 20 April 2023
गुलाबी मलमल की धोती, पटका एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर क़तरा के शृंगार
जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को गुलाबी मलमल की धोती, पटका एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर क़तरा का श्रृंगार धराया जायेगा.
राजभोग दर्शन –
कीर्तन : (राग – सारंग)
आंगन खेलिये झनक मनक ।
लरिका यूथ संग मनमोहन बालक ननक ननक ।।१।।
पैया लागो पर घर जावो छांडो खनक खनक ।
परमानंद कहत नंदरानीबानिक तनक तनक ।।२।।
साज – आज श्रीजी में गुलाबी रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की तुईलैस के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज गुलाबी मलमल की धोती एवं पटका धराया जाता है. दोनों वस्त्र रूपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र स्याम रंग के होते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व-आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, स्याम मीना के वेणुजी एवं वेत्र धराये जाते हैं.
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