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Monday, 19 June 2023

व्रज – आषाढ़ शुक्ल द्वितीया

व्रज – आषाढ़ शुक्ल द्वितीया
Tuesday, 20 June 2023

पुरी में जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को होती है परन्तु
पुष्टिमार्ग में रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से तृतीया तक जिस दिन सूर्योदय के समय पुष्य नक्षत्र हो उस दिन होती है और इस वर्ष मंगलवार, 20 जून 2023 की रात्रि 10 बजकर 36 मिनिट से पुष्य नक्षत्र आरंभ हो रहा है अतः श्रीनाथजी में आषाढ़ शुक्ल तृतीया (बुधवार, 21 जून 2023) के दिन रथयात्रा का पर्व मनाया जाएगा.

गुलाबी मलमल के धोती पटका एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर मोर चंद्रिका के शृंगार

जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं. 
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं.

ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को गुलाबी धोती-पटका एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर मोर चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.

राजभोग दर्शन – 

कीर्तन – (राग : मल्हार)

कुंवर चलोजु आगे गहवरमें जहाँ बोलत मधुरे मोर l
विकसत वनराजी कोकिला करत रोर ।।१।।
मधुरे वचन सुनत प्रीतम के लीनो प्यारी चितचोर l
‘गोविंद’ बलबल पिय प्यारी की जोर ।।२।।

साज – आज श्रीजी में गुलाबी रंग की मलमल की, रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज प्रभु को गुलाबी रंग की मलमल धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता हैं. दोनों वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज मध्य का (घुटने तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है. मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
 श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोर चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
 श्रीकर्ण में मोती के कर्णफूल धराये जाते हैं. 
श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं एवं हमेल की भांति दो मालाजी धरायी जाती हैं.
 श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, चांदी के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट गोटी ऊष्णकाल के राग-रंग के आते हैं.

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